स्वर्ग जैसी चौकोरी
छुट्टियों में हिल स्टेशन पर जाने का मन किसका नहीं करता। और यदि ये हिल स्टेशन हमारे आसपास ही हो तो फिर क्या कहने। उत्तराखंड का हर जनपद वैसे तो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। लेकिन यहीं का एक छोटा सा हिल स्टेशन है चौकोरी।
एक तरफ जहां हरियाली से लकदक ऊंचे पहाड़ है तो दूसरी ओर बर्फ से ढकी पहाड़ियां। सूरज की लालिमा इन बर्फ से ढके पहाड़ों पर पड़ती है तो लगता है मानों हम स्वर्ण देश में आ गए हैं। यहां का हर नजारा दिल को सुकून पहुंचाता है।
शांत शीतल हवा शरीर में नई सुफूर्ति का संचार करती है। चौकारी की खूबसूरती को बयां करती दैनिक उत्तराखंड की ये रिपोर्ट
चौकोरी पिथौरागढ़ जिले में एक छोटा सा हिल स्टेशन है। यह हिल स्टेशन पूर्वी हिमालय की चोटियों से चारों ओर से घिरा हुआ है।
इसके उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में तराई है। यहां बहने वाली महाकाली नदी और नेपाल के अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर का निर्माण करती है।
समुद्र तल से 2010 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिल स्टेशन से नंदा देवी और नंदा कोट की बर्फ से ढकी चोटियों का नजारा साफ देखने को मिलता है। खूबसूरती में चौकोरी हिल स्टेशन का जवाब नहीं है। चौकोरी आकर न केवल एक नए संसार का अनुभ व होता है बल्कि शरीर के अंदर भी एक नई ऊर्जा का संचार होता है। पर्यटकों के लिए चौकोरी धरती पर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। इसकी पावन सुन्दरता को अभी प्रदूषण से बचा कर रखा गया है।
यहां के शुद्ध वातावरण में सांस लेना, चिड़ियों की चहचहाट सुनना और सूरज की लालिमा का सुबह शाम दर्शन करना स्वर्ग का अनुभव कराता है। लगता है जैसे सूरज की किरणें हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों को चूम कर अपने आगोश में ले रही हों।
यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य मनमोहक होता है। रात की छटा और भी हसीन होती है। आसमान में अनगिनत तारें जैसे कुछ कहने आपके पास धरती पर आए हों। चौकोरी तीर्थ यात्रियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण स्थान है। चौकोरी के आसपास अनेकों मन्दिर हैं। धौलीनाग, बशुकीनाग, नकुलेश्वर महादेव, कपिलेश्वर महादेव मंदिर चौकोरी के काफी करीब हैं।
चौकोरी के पास स्थल
गंगोलीहाट
चौकोरी से करीब 35 किमी की दूरी पर है गंगोलीहाट। समंद्री तल से इसकी ऊंचाई 1800 मीटर है। कुमाऊं मण्डल में यह स्थल पवित्र धार्मिक स्थानों का केन्द्र माना जाता है। यहां पर एक बहुत ही प्राचीन हाट-कालिका मंदिर स्थित है। गंगोलीहाट प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा है। पटल की गुफाएं यहां से केवल 14 किमी की दूरी पर है।
बैरीनाग
चौकोरी से लगभग 10 किमी की दूरी पर एक और छोटा व खूबसूरत हिल स्टेशन है बैरीनाग। बैरीनाग 1740 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से हिमालय की बर्फ की चादरों से ढकी चोटियों का आनन्दमय नजारा देखने को मिलता है। बैरीनाग को पहले सभी बेदीनाग के से जानते थे। यह स्थान नागों के मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है। बैरीनाग के चाय के बागान बहु प्रचलित हैं। यहां की चाय का स्वाद दूर दूर तक फैला हुआ है। बैरीनाग का बाहरी इलाका पेड़ पौधों के घने जंगलों और जल धाराओं से घिरा हुआ है। बैरीनाग विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं से भरा हुआ है।
धरमघर
धरमघर चौकोरी से 9 किमी दूर है। गांधी जी के पगचिन्हों पर चलने वाली सरला बहन ने अपनी जिन्दगी के अन्तिम कुछ पल यहां पर ही गुजारे थे। धरमनगर में हिमदर्शन के नाम सरला बहन का एक कुटीर है। यहां से हिमालय पर्वत के चोटियों का नजारा दिखाई देता है।
बागेश्वर
बागनाथ मंदिर के नाम पर इस जगह का नाम बागेश्वर रखा गया है। प्रतिवर्ष बागनाथ मंदिर में हजारों तीर्थ यात्री आते हैं। मान्यता है कि यहां शिव जी शेर का रूप ले कर किया करते थे। बागेश्वर सरयू नदी और गोमती नदी का संगम स्थल है। यहां प्रतिवर्ष जनवरी माह मेें प्रसिद्ध उत्तरायनी मेले का आयोजन किया जाता है। पिंडारी पर ट्रैकिंग के लिए जाने वाले ट्रैकर्स यहां कैम्प लगाते हैं। बागेश्वर चौकोरी से 47 किमी दूर है।
कैसे पहुंचे
चौकोरी के पास सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है। यहां चौकोरी की दूरी 250 किमी है। पंतनगर हवाई अड्डे से चौकोरी के लिए टैक्सी आसानी से मिलती है। रेल से सफर करना चाहते हैं तो सबसे नजदीक काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। चौकोरी यहां से केवल 180 किमी रह जाता है। काठगोदाम से आपको चौकोरी के टैक्सी किसी भी समय मिल जाएगी। चौकोरी उत्तराखण्ड के सभी महत्वपूर्ण मार्गों से जुड़ा हुआ है।
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